अखिलेन्द्र मिश्र किसी परिचय के मोहताज नहीं है। साल 1990
में आयी फैंटेसी सीरियल चंद्रकांता के क्रूर सिंह को कौन भूल
सकता है ? इस किरदार में उनका डायलॉग “यक्कू..” बच्चों-
बच्चों की जुबां पर था। 28 मार्च 1962 को सीवान में पैदा हुए अखिलेन्द्र मिश्र दस
भाई-बहनों के परिवार में सबसे छोटे हैं। उनकी अभिनय की
शुरुआत गांव में ही हुई। ‘सरफरोश’ के ‘मिर्ची सेठ’ से अदाकारी की दुनिया में अलग
पहचान बनाने वाले अखिलेन्द्र मिश्र को संयोग से गांव के एक
नाटक में अभिनय करने का मौका मिला। ये रोल दूसरे कलाकार
द्वारा छोड़े जाने के बाद मिला था।
गांव के नाटक में काम करने के दौरान ही उनके जीवन का
भविष्य तय हो गया। उन्होंने अभिनय नहीं सीखा बल्कि
ग़लतियों से लगातार सीखते रहे। ‘यक्कू’ के लिए अभिनय पेशा
नहीं, जुनून है। एक्टिंग की दुनिया में लंबी पारी खेलने के बाद भी इनका
अंदाज अब भी खांटी है। बनावटीपन से इनका दूर-दूर तक नाता जय देवगन स्टारर फिल्म ‘बेदर्दी’, ‘वीरगति’ और ‘सरफरोश’
जैसी फिल्मों में अपने पात्र को नया आयाम देने वाले बिहार के
इस लाल ने आमिर खान की फिल्म ‘लगान’ में ‘अर्जन’ का
दमदार किरदार निभाया था।
नहीं है। साल 2002 में ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’ में चंद्रशेखर आज़ाद के
पात्र को जीवंत कर दिया। अगले ही साल आयी प्रकाश झा
की सुपरहिट फिल्म ‘गंगाजल’ में भ्रष्ट ‘डीएसपी भूरेलाल’ के
रोल में काफी पसंद किए गये।
फिर आन, मुंबई से आया मेरा दोस्त और परवाना जैसी आयी
फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कोई धमाल नहीं मचा सकी। साल
2004 में यशराज की मूवी ‘वीर-जारा’ में जेलर की भूमिका में
काफी पसंद किए गये। प्रकाश झा द्वारा निर्देशित ‘अपहरण’ में उनकी एक्टिंग की
काफी सराहना हुई। साथ ही मिलन लूथरिया की ‘वंस अपॉन ए
टाइम इन मुंबई’ में उनके काम को सराहा गया। फिल्मों में तहलका मचाने वाले अखिलेन्द्र मिश्र ने सीरियल
की दुनिया में भी अपनी धाक जमायी है। उन्होंने ‘दीया औऱ
बाती’, ‘महाभारत’ औऱ ‘तू मेरा हीरो‘ में अहम किरदार
निभाया है।
बॉलीवुड में बिहार - 'क्रूर सिंह' को भूल गये क्या ?
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18:34:00
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