बिहार के बक्सर में पचकोसीमेला पांच दिनों तक लगता है। मेले
का धार्मिक रंग है जिसके तहत लोग सपरिवार मेले में आकर
लिट्टीचोखा लगाते (बनाते) हैं एवं कथितभगवान् राम का
प्रसाद समझकर इन्हें ग्रहण करते हैं।गोइठा (गाय-भैंस की गोबर
सेबना) पर सेंक कर बनी इस लिट्ठी का स्वाद ही अलग होता है।
स्वादिष्ट होने के साथ साथ स्वास्थ्य रक्षक लिट्टी होती है
यह। मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम ने ताड़का वध के बाद
भेंट न होने वाले ऋषियों के आश्रम पर स्वयं भ्रमण किया एवं
रात्रि विश्राम किया था.नारद मुनि के आश्रम पर भगवान राम
का दूसरा पड़ाव था जहां भोजन के रूप में उन्हें खिचड़ी
खिलायी गयी थी. मंगलवार को प्रथम पड़ाव अहिरौली से
श्रद्धालु गंगा में स्नान कर नदांव पहुंचते हैं. नदांव में ये श्रद्धालु
नारद सरोवर में स्नान कर उसकी परिक्रमा करते हैं.श्रद्धालु
नारद सरोवर के पश्चिमी भीट पर बसांव मठ द्वारा लगाये गये
टेंट में रात्रि विश्राम करते हैं. श्रद्धालुओं की व्यवस्था बसांव
मठाधीश्वर द्वारा गठित पंचकोसी परिक्रमा सेवा समिति
द्वारा किया गया था.बसांव मठिया के अच्युतानंद
प्रपन्नाचार्य जी महाराज की अगुवाई में सैकड़ों महिलाओं ने
तालाब की परिक्रमा कर प्रसाद ग्रहण किया.बसांव मठ ने
बांटा प्रसाद प्राचीन संस्कृति को बचाये रखने के लिए
धार्मिक संस्थानों द्वारा समिति बनायी गयी हैजो
आस्थावानों व श्रद्धालुओं की सेवार्थ सदैव तत्पर रहते हैं. बसांव
मठ द्वारा पंचकोसी यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं
को दूसरे पड़ाव नदांव से लेकरअंतिम पड़ाव बक्सर रामरेखा घाट
तक सेवा देते हैं ।

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