खालसा पंथ के 317 स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार
को ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु का बाग से सिखों ने नगर कीर्तन
निकाला। भजन-कीर्तन और प्रवचन के बीच दोपहर लगभग साढ़े
तीन बजे शुरु हुआ नगर-कीर्तन गुरु का बाग के दूसरे मार्ग से अशोक
राजपथ के विभिन्न क्षेत्रों से घूमते हुए शाम लगभग साढ़े सात
बजे तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब पहुंचा।पुष्प वर्षा के बीच धार्मिक नारों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो
रहा था। वैशाखी जुलूस की अगुवाई पंच-प्यारे कर रहे थे।
‘वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह’, ‘राज करेगा
खालसा, आकी रहे न कोय’, ‘बोले सो निहाल- सत श्री अकाल’
जैसे धार्मिक नारों से वातावरण गूंज रहा था। बैंड बाजों पर
देहि शिवावर मोहि इहै.. आदि धार्मिक धुन माहौल को
भक्तिमय बना रहे थे।शोभायात्र का मुख्यमार्ग में जगह-जगह स्वागत किया गया।
नगर-कीर्तन के दौरान कटिहार से आए गतका पार्टी के सदस्य
लाठी, तलवार, ढाल से जौहर दिखा श्रद्धालुओं को अचंभित
कर रहे थे।
मंगलवार को हुई। इसके बाद हजूरी रागी जत्था भाई हरभजन
सिंह, भाई नविंदर सिंह, भाई जोगेंद्र सिंह, दिल्ली बंगला
साहिब के भाई गुरमेल सिंह द्वारा कीर्तन प्रस्तुत किया गया।
वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह’ की ध्वनि से गूंजा पटना
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16:09:00
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